सोच सोच के रह न जाए बस प्यास |
कल तक थी ये बंजर ज़मीन |
जो अब होगई हैं आबाद और रंगीन |
तुम्हारी एक छुवन से हुआ एहसास यु ,
पथ्झड में आगया हो सावन जू |
अब तो मेहेक ने लगी ज़िन्दगी मेरी ,
मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबु सी |
प्यासे धरती पे बरसो तुम बनके घने बादल |
यही होती हैं मेरी आरज़ू आजकल |
तुम आओगे कभी न कभी ये आस हैं |
क्या इसका कुछ तुम्हे भी एहसास हैं ?
- पूर्णिमा
12 comments:
me too.. ^^
Sweet "Aas" & "Ehsaas"
I loved it <3
thx Monu for your time in going thru... :)
superb.one of ur best so far..! Loved the ? at end...!! so sutle...nice :)
Thx Mr. Insomniac....:)
nice words poornima ! good aas and good ehsaas !
thx Khatti imli..;)
Super :)
Thanks Sumanth.. :)
no words to comment
@Dayanand..why are you running short of words? did you like it not... ?
good and heart touching....
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