याद तुम इतना न आया करो,
की मैं ख़ुद को भूल जाया करू |
तुम्हारी याद इस कदर आती हैं,
जैसे तूफ़ान आकर अपने साथ सब ले जाती हैं |
तुम्हे चाहे हम इस तरह,
बता न सके किस तरह |
तुम हो तो सब कुछ हैं,
नही तो सिर्फ़ फुरकत हैं |
आजाओ तुम जल्दी से,
की रहा न जाय जिन्दा मर्जी से |
खिला चेहरा तुम्हारा सामने आता हैं हर वक्त,
जैसे तुम्हारी याद आती हैं बेवक्त |
कही मार न दे मुझे तेरी याद,
क्या तुम्हे भी आती हैं कभी मेरी याद ?
हर बार सोचा की तुम्हे याद न करेंगे अब के बाद,
पर दिल ने इसको टाला बार बार |
क्या करे ये समझ न आए,
तेरी याद मुझे छोड़ न पाये |
- पूर्णिमा, २००३
की मैं ख़ुद को भूल जाया करू |
तुम्हारी याद इस कदर आती हैं,
जैसे तूफ़ान आकर अपने साथ सब ले जाती हैं |
तुम्हे चाहे हम इस तरह,
बता न सके किस तरह |
तुम हो तो सब कुछ हैं,
नही तो सिर्फ़ फुरकत हैं |
आजाओ तुम जल्दी से,
की रहा न जाय जिन्दा मर्जी से |
खिला चेहरा तुम्हारा सामने आता हैं हर वक्त,
जैसे तुम्हारी याद आती हैं बेवक्त |
कही मार न दे मुझे तेरी याद,
क्या तुम्हे भी आती हैं कभी मेरी याद ?
हर बार सोचा की तुम्हे याद न करेंगे अब के बाद,
पर दिल ने इसको टाला बार बार |
क्या करे ये समझ न आए,
तेरी याद मुझे छोड़ न पाये |
- पूर्णिमा, २००३
5 comments:
good...... with this perfection in hindi too ...
is it perfect..? but thanks for your comments..:)
Its very hard to understand the poem :). This type of poem that too from Poornima!!
Nicely written.. Keep it up
@Monty.. :P thanks so much! are you writing something these days?
@Monty.. Mahantesh.. where is it taking me from your profile.. have you also started blogging?
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