Mar 13, 2012

कम्बक्त ए मोहब्बत !

 
तेरे ख़याल के ख़याल से हैं चाहत ।
मिलकर भी मिलती नहीं राहत ।
तुझसे ज्यादा हैं तेरी याद खूबसूरत ।
कम्बक्त  क्या चीज़ हैं ये मोहोब्बत ||

हो रही हैं अब खुद से नफरत ।
तेरे खयालों में घिर्गई हु हर वक़्त ।
होकर भी तुम अजनबी, लगते हो मेरी अमानत ।
कम्बक्त  क्या चीज़ हैं ये मोहोब्बत ||

हर जवा  दिल की यही  होती हैं हस्रत ।
हो जाये उन पर भी ये इनायत, करके दिल पर हुकूमत । की
बंजाये ज़िन्दगी जीने लायक ।
कम्बक्त  क्या चीज़ हैं ये मोहोब्बत ||

 - पूर्णिमा 

8 comments:

  1. This is brilliant. Loved it Poornimaji..

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  2. A very cute one Pooru... Each line ending with one of the sweetest question in d whole world...

    Lovely Poetic shaayari..
    Keep coming with such beautiful lines... :)

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  3. thx Monu will do for sure.. :)

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  4. One of ur best so far..!

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